रेलवे ने बढ़ते अपराधों पर रोक लगाने के लिए फेशियल रिकग्निशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। बेंगलुरु, मनमाड और भुसावल स्टेशनों पर इसका उपयोग होने लगा है। इसकी मदद से अब रेलवे पुलिस फोर्स यानी आरपीएफ के जरिए आसानी से अपराधियों की पहचान कर सकेगी। इस तकनीक के तहत अपराधियों के चेहरों की मैपिंग की जाएगी। मैपिंग करने के बाद उनकी फोटो क्लिक करते ही देश के हर स्टेशन पर पहुंच जाएगी। इसके लिए वीडियो सर्विलेंस प्रणाली स्थापित की जा रही है।
983 स्टेशनों में वीडियो सर्विलेंस प्रणाली लगाने की मंजूरी
रेलवे बोर्ड ने निर्भया निधि के तहत भारतीय रेल के 983 स्टेशनों में वीडियो सर्विलेंस प्रणाली स्थापित करने के लिए कार्यों को मंजूरी दी है। इसके लिए इस साल 250 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। रेल मंत्रालय के तहत एक मिनी रत्न सार्वजनिक उपक्रम- रेलटेल को वीडियो एनालिटिक्स एवं फेशियल रिकोग्नीशन प्रणाली सहित आईपी आधारित वीडियो सर्विलेंस प्रणाली स्थापित करने का कार्य सौंपा गया है।
इन स्टेशनों पर यहां काम शुरू
इस साल प्रथम चरण में दक्षिण-पश्चिम रेल ने हाल में 6 प्रमुख स्टेशनों में वीडियो सर्विलेंस प्रणाली शुरू की है। इनमें बेल्लारी में 33 कैमर, बेलागावी में 36 कैमरे, वास्को द गामा में 36 कैमरे, बैंगलुरू कैंट में 21 कैमरे, बांगरपेट में 36 कैमरे लगाए गए हैं। 3 स्टेशनों हासन, शिवमोगा टाउन और सत्य साई प्रशांति निलयम में कार्य चल रहा है। सीसीटीवी सहित समन्वित सुरक्षा प्रणालियां 11 स्टेशनों में स्थापित की गई हैं। इसी तरह दक्षिण-पश्चिम रेल के 17 स्थानों पर सीसीटीवी क्रियाशील हैं। प्रथम चरण में जनवरी 2020 के अंत तक 20 रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी लागू करने का काम पूरा हो जाएगा।
2020 तक सभी स्टेशनों और सभी रेलवे कोचों में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
भारतीय रेलवे ने देशभर के सभी स्टेशनों और सभी रेलवे कोचों में मार्च, 2022 तक सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए टेंडर जारी किया है। रेलवे बोर्ड चेयरमैन वीके यादव ने कहा कि दिसंबर 2019 तक रेलवे ने देशभर के 503 रेलवे स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉल किए हैं, और हम मार्च 2020 तक सभी स्टेशनों और सभी रेलवे कोचों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना पर काम कर रहे हैं। इन सीसीटीवी को ट्रेन कोचों में कॉमन एरिया में फिट किया जाएगा, ताकि इनसे पैसेंजर्स की निजता पर असर न हो।